राष्ट्रीय सैनिक संस्था की सोच…

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आगरा लाईव न्यूज। फौज के अंदर अक्सर सिपाहियों को आपस में बात करते समय सुना जा सकता है की वो सिविल के नागरिकों को, परोक्ष अथवा अपरोक्ष, बेईमान समझते है। ऐसे ही सिविल लाइफ मे अकसर लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है की हमे फौज पर गर्व है परंतु वो फौज के सिपाहियों को, परोक्ष अथवा अपरोक्ष, कमअक्ल मानते है। दोनों ही वर्ग देश की आत्मा है, नागरिक हो या सैनिक हो। दोनों ही महत्वपूर्ण है, नागरिक अपनी संख्या और एकत्रित क्षमता के बल पर और सैनिक महत्वपूर्ण है अपनी कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और ईमानदारी के बल पर।सेवानिवृत फौजियों के सेकड़ों संगठन बने हुए है। कुछ केवल सिपाहियों के, कुछ केवल ऑफिसर्स के, कुछ ऑफिसर और सिपाहियों के, कुछ केवल आर्मी के, कुछ केवल नेवी के और कुछ केवल ऐयर्स फोर्स के।

इस तरह के संगठन गाँव के स्तर पर, तहसील के स्तर पर, जिले के स्तर पर अथवा राष्ट्रीय स्तर पर बने हुए है। साधारणत: फौजी सिपाही सिविल नागरिकों को अपने संगठनों मे अपने साथ नहीं रखते। राष्ट्रीय सैनिक संस्था राष्ट्रीय स्तर पर पहला ऐसा साफ सुथरा, धवल चरित्र, निष्कलंक, अराजनैतिक संगठन है जिसमे देश भक्त नागरिक और पूर्व सैनिक, दोनों ही शामिल है। उपरोक्त को ध्यान मे रखते हुए राष्ट्रीय सैनिक संस्था का गठन किया गया। इसे देश भक्त नागरिकों और पूर्व सैनिकों का संगठन कहा गया। उदेश्य यह था की सैनिकों और नागरिकों को एक दूसरे के करीब लाया जाए। सैनिकों को बताया गया की देश के नागरिक भी आपसे बड़े देश भक्त हो सकते है।

क्या चन्द्रशेखर आजाद और भगत सिंह फौजी थे ? देश के नागरिकों को बताया गया की यदि एक नेता चुनाव हार जाए तो दोबारा चुनाव लड़ सकता है , एक जिलाधिकारी यदि निलंबित कर दिया जाए तो उसे दोबारा पुनर स्थापित किया जा सकता है परंतु सिपाही अपनी जान का बलिदान एक बार ही दे सकता है। इसलिए सिपाही के बलिदान को सर्वोच्च बलिदान कहते है। जो पूर्व सैनिक है उन्हे बलिदान होने का अवसर तो प्राप्त नहीं हुआ परंतु वो एक लंबे समय तक मौत , दुश्मन और खतरे के साये मे रहे है और विपरीत परिस्थितियों मे काम किया है। लिहाजा पूर्व सैनिकों को भी जिंदा शहीद कहा जा सकता है। पूर्व सैनिकों को और देश भक्त नागरिकों को एक मंच पर लाने के लिए एक नारे की या एक हथियार की , या एक सूत्र की आवश्यकता है।

इसका नाम है “ जय हिन्द “जब हम जय हिन्द बोलते है तो दिमाग के चारों तरफ 2 – 4 सैकैन्ड तो देश भक्ति और देश प्रेम की भावना रहती है। कल्पना कीजिए की देश के सभी लोग एक साथ मिलकर जब पूरी श्रद्धा, विश्वास और प्रेम के साथ जय हिन्द बोलेंगे तो, क्योंकि शब्द कभी ब्राह्मण मे मरते नहीं है उनका चुंबकीय स्पंदन बराबर गुजायमान होता रहता है, तो देश भक्ति का पुनर जागरण निश्चित है। जय हिन्द बोलने और बुलवाने से राष्ट्रीय एकीकरण और चरित्र निर्माण स्वत ही प्रारंभ हो जाएगा राष्ट्रीय सैनिक संस्था की सोच का आधार है देश भक्त नागरिकों और पूर्व सैनिकों को एक मंच पर लाकर “जय हिन्द” का हथियार देकर, देश भक्ति जागरण के कार्य मे लगाना। यह करने के लिए हम शहीद सिपाहियों के परिवारों का सम्मान, देश मे व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाना और स्कूलों मे प्रारम्भिक सैनिक प्रशिक्षण जैसे मिशन पर काम करते है। कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, वीर चक्र राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय सैनिक संस्था गौरव सेनानी राजेन्द्र बगासी राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय सैनिक संस्था।

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