आगरा लाईव न्यूज। फर्रुखाबाद में पति-पत्नी के रिश्तों में कड़वाहट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। प्यार और विश्वास की नींव पर टिके इस रिश्ते में अब शक, क्रोध और हिंसा ने घर कर लिया है। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां शादी के बंधन ने खून का रूप ले लिया। न तो पति सुरक्षित हैं, न ही पत्नी—रिश्ते अब अदालतों और पुलिस थानों तक सिमटते जा रहे हैं।
बुढ़नामऊ की वारदात : सोते पति पर पत्नी का हमला
फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के बुढ़नामऊ गांव में एक महिला ने अपने पति पर अवैध संबंधों का आरोप लगाते हुए सोते समय उसके गुप्तांग पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। दर्द से तड़पते पति ने किसी तरह खुद को बचाया और गुस्से में आकर पत्नी की हत्या की कोशिश की। गांववालों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को अलग कराया।
शमसाबाद में पत्नी की संदिग्ध मौत, पति पर हत्या का शक
शमसाबाद थाना क्षेत्र में एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मायके पक्ष का आरोप है कि उसका पति किसी और महिला से संबंध रखता था और जब पत्नी ने विरोध किया तो उसने हत्या कर दी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
रिश्ते क्यों बन रहे हैं मौत का कारण? इन घटनाओं से यह साफ है कि शादी का बंधन अब पहले जैसा नहीं रहा। आज के समय में पति-पत्नी के रिश्ते में शक और अविश्वास इस हद तक बढ़ गया है कि लोग अपने जीवनसाथी की जान लेने तक को तैयार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रिश्तों में पारदर्शिता की कमी, सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव और समाज में बदलते मूल्यों के कारण आज शादीशुदा जोड़े एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर पा रहे।
शादीशुदा जिंदगी में बढ़ती हिंसा: कौन है जिम्मेदार?
सोशल मीडिया और मोबाइल : आज के दौर में सोशल मीडिया ने रिश्तों में दूरियां बढ़ा दी हैं। पति-पत्नी एक-दूसरे से ज्यादा दूसरों से जुड़े रहते हैं, जिससे शक और गलतफहमियां बढ़ती हैं।
बदलता समाज और व्यक्तिगत स्वतंत्रता : जहां पहले शादी एक सामाजिक बंधन हुआ करता था, वहीं अब लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्व देने लगे हैं। इस बदलाव से कई बार रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।
संवाद की कमी : पति-पत्नी के बीच सही संवाद की कमी भी बड़ी वजह बनती है। समस्याओं को बातचीत से हल करने के बजाय लोग हिंसा का सहारा लेने लगे हैं।
समाज को जागरूक करने की जरूरत
आज के समय में पति-पत्नी के रिश्तों को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे को समझें, एक-दूसरे को समय दें और हर समस्या का हल बातचीत से निकालें। पुलिस और सामाजिक संगठनों को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसे मामलों को रोका जा सके। वरना आने वाले समय में शादी का यह पवित्र रिश्ता केवल कोर्ट कचहरी और खूनखराबे का खेल बनकर रह जाएगा।