🔥 हाईकोर्ट ने कहा– अब राजशाही का दौर खत्म, लोकतंत्र में “राजा” का अधिकार नहीं तय करता वंशक्रम
आगरा लाईव न्यूज/प्रयागराज। आगरा के आवागढ़ शाही परिवार में वर्चस्व की जंग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि आज के लोकतांत्रिक भारत में “राजा” का अधिकार केवल वंशानुगत नहीं हो सकता। “बड़े बेटे का बड़ा बेटा राजा बने”—यह परंपरा अब लागू नहीं होती, क्योंकि देश में अब राजशाही का दौर समाप्त हो चुका है।
⚖️ जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने आगरा के आवागढ़ शाही परिवार के दो बेटों के बीच चल रही लंबी खींचतान का कानूनी समाधान निकाल दिया है। मामला राजा बलवंत सिंह कॉलेज और बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के उपाध्यक्ष पद से जुड़ा था, जिस पर दोनों भाइयों के बीच वर्षों से विवाद चल रहा था।
👑 परिवार के बड़े बेटे जितेंद्र पाल सिंह और छोटे बेटे अनिरुद्ध पाल सिंह के बीच “वर्चस्व की जंग” कोर्ट तक पहुंच गई थी। दोनों ही अपने-अपने पक्ष में “राजा” की उपाधि और सोसाइटी के नियंत्रण का दावा कर रहे थे।
🕰️ अदालत ने सोसाइटी के उपाध्यक्ष के पांच वर्ष के कार्यकाल को दो हिस्सों में बांटने का आदेश दिया—यानी दोनों भाइयों को बराबर-बराबर मौका मिलेगा। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि “दोनों भाई अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के बजाय राजा की उपाधि के लिए लड़ रहे हैं, जबकि लोकतंत्र में इस उपाधि का कोई संवैधानिक महत्व नहीं।”
💬 इस फैसले के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न केवल आवागढ़ के शाही परिवार की विवादित लड़ाई को सुलझाया, बल्कि एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब लोकतंत्र है, राजशाही नहीं।

