यमुना एक्सप्रेसवे से गांव की गलियों तक गूंजा ईमानदारी का नाम, गुरुदयाल सिंह के सम्मान में उमड़ा जनसैलाब

0

जितेन्द्र कुशवाह की रिपोर्ट

आगरा लाईव न्यूज। खंदौली क्षेत्र में ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सरकारी सेवा की सच्ची तस्वीर लोगों के सामने रख दी। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में 36 वर्षों तक एक ही स्थान पर सेवा देने वाले और पूरी ईमानदारी के साथ सेवानिवृत्त हुए गुरुदयाल सिंह के सम्मान में क्षेत्र के लोगों ने ऐसा स्वागत किया, जो किसी औपचारिक कार्यक्रम से कहीं आगे जाकर जनभावनाओं का सजीव उदाहरण बन गया।

गुरुदयाल सिंह के सम्मान में निकली स्वागत यात्रा यमुना एक्सप्रेसवे से शुरू होकर खंदौली कस्बा, खंदौली चौराहा होते हुए ग्राम खेरिया तक पहुंची। पूरे रास्ते लोगों ने फूल बरसाए, मालाएं पहनाईं और जयकारों के साथ उनका अभिनंदन किया। गांव-गांव और गली-गली में उत्सव जैसा माहौल रहा, जिससे साफ झलकता था कि यह सम्मान दिल से दिया गया है।

स्वागत यात्रा में सैकड़ों मारुति कारों और अन्य चारपहिया वाहनों का लंबा काफिला नजर आया, जो कई किलोमीटर तक फैला रहा। सड़कों के दोनों ओर हजारों ग्रामीण, युवा और बुजुर्ग खड़े दिखाई दिए। सभी के चेहरे पर गर्व और खुशी साफ नजर आ रही थी।

लोगों का कहना था कि यह सम्मान किसी पद का नहीं, बल्कि ईमानदार चरित्र और सादगी भरे जीवन का है। ग्राम खेरिया पहुंचते ही माहौल और भी भावुक हो गया। गांव की गलियों में माताओं-बहनों ने डीजे की धुन पर नृत्य कर खुशी जताई। पारंपरिक रीति-रिवाज से आरती उतारी गई, फूल-मालाएं पहनाई गईं और हर मोड़ पर बधाइयों का सिलसिला चलता रहा। पूरा गांव इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बन गया।

इस अवसर पर ग्राम खेरिया के प्रधान छोटू प्रधान, गुरुदयाल सिंह के पुत्र राजीव ठेनुआँ, पूर्व ब्लॉक प्रमुख हरिओम जुरेल सहित क्षेत्र के अनेक सम्मानित लोग मौजूद रहे। इसके अलावा दीपक सिकरवार, योगेंद्र चौधरी, राकेश सिकरवार, मुकेश गुप्ता, गिरिराज सिंह नोहर, नरेंद्र सिकरवार, रोहित जुरेल और सोनू प्रधान (खड़िया) भी प्रमुख रूप से शामिल रहे। सभी वक्ताओं ने गुरुदयाल सिंह के सरल स्वभाव, ईमानदारी और सभी के साथ समान व्यवहार की खुलकर सराहना की।

ग्रामीणों का कहना था कि यदि कभी किसी स्तर पर चुनाव होता, तो गुरुदयाल सिंह बिना किसी मुकाबले के निर्विरोध चुने जाते। यह बात उनके प्रति लोगों के अटूट विश्वास और सम्मान को साफ तौर पर दर्शाती है। सम्मान के इन पलों में गुरुदयाल सिंह स्वयं भावुक हो गए।

उन्होंने कहा कि नौकरी की शुरुआत से लेकर सेवा के अंतिम दिन तक उन्होंने अपने सभी साथियों के साथ एक ही कैन्टीन में बैठकर रोटी खाई। आज उन्हें खुशी भी है, लेकिन अपने साथियों से अलग होने का दुख भी है। उनके ये शब्द सुनकर कई लोगों की आंखें नम हो गईं।

खंदौली से खेरिया तक हुआ यह आयोजन इस बात का प्रमाण बन गया कि सच्ची सेवा और ईमानदारी का सम्मान जनता खुद करती है।

गुरुदयाल सिंह की सेवानिवृत्ति केवल नौकरी से विदाई नहीं, बल्कि ईमानदारी, सादगी और इंसानियत से भरे जीवन की अमर कहानी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here