राजकीय इंटर कॉलेज में अनियमितताओं के गंभीर आरोप, पीड़ित शिक्षिका की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच की उठी मांग

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आगरा लाईव न्यूज। खंदौली ब्लॉक की ग्राम पंचायत सेमरा स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं, छात्रों से अतिरिक्त शुल्क वसूली और एक महिला शिक्षिका के आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप सामने आए हैं। पीड़ित शिक्षिका द्वारा विभागीय अधिकारियों से की गई शिकायतों पर अब तक ठोस कार्रवाई न होने से मामला जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, विद्यालय में सरकारी सेवा वरिष्ठता नियमों की अनदेखी करते हुए सबसे कनिष्ठ प्रवक्ता को अवैध रूप से कार्यवाहक प्रधानाचार्य बना दिया गया है। आरोप है कि उपस्थिति पंजिका सहित अन्य शासकीय अभिलेखों में भी वरिष्ठता को नजरअंदाज कर पीड़ित शिक्षिका के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पीड़ित शिक्षिका का आरोप है कि वर्तमान कार्यवाहक प्रधानाचार्य, पूर्व कार्यवाहक प्रधानाचार्य और कुछ अन्य महिला शिक्षिकाएं मिलकर उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रही हैं। उन पर झूठे मामलों में फंसाने, शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने और सच बोलने वाले छात्रों को टीसी काटने या परीक्षा के एडमिट कार्ड न देने जैसी धमकियां देने के आरोप लगाए गए हैं।

मामले में यह भी आरोप सामने आए हैं कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य द्वारा विज्ञान वर्ग के छात्र रेहान सहित कुछ लोगों से पीड़ित शिक्षिका की रेकी, जासूसी, अभद्र व्यवहार और चोरी-छिपे फोटो व वीडियो बनवाने जैसे कृत्य कराए जा रहे हैं। बताया गया है कि उक्त छात्र पढ़ाई छोड़कर शिक्षिका के आसपास मंडराता रहता है, जबकि कुछ छात्राओं को भड़काकर झूठी शिकायतें भी करवाई जा रही हैं। इन आरोपों ने विद्यालय की कार्यप्रणाली और छात्र अनुशासन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

पीड़ित शिक्षिका का कहना है कि उनका शैक्षणिक और सेवा रिकॉर्ड पूरी तरह बेदाग रहा है। वर्ष 2024 में उन्होंने आगरा जनपद, मंडल और प्रदेश स्तरीय शिक्षण-अधिगम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर विद्यालय और जिले का नाम रोशन किया था। बावजूद इसके, लगातार हो रहे उत्पीड़न के कारण वे मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति से गुजर रही हैं। शिक्षा विभाग की भूमिका पर भी गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।

आरोप है कि बच्चों से अतिरिक्त फीस वसूली और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। छात्रों से कथित तौर पर जासूसी और अभद्रता करवाने के आरोपों पर भी विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली शिक्षिका की शिकायतों पर कार्रवाई न होना मिशन शक्ति के तहत महिला सुरक्षा और सम्मान के दावों पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहा है। वरिष्ठता नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए कार्यवाहक प्रधानाचार्य की नियुक्ति की जांच अब तक शुरू न होना भी विवाद का बड़ा कारण बना हुआ है।

मामले को लेकर कमिश्नर और जिलाधिकारी से मांग की गई है कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय न्यायिक या मजिस्ट्रेटीयल जांच कराई जाए, अवैध वसूली और अन्य अनियमितताओं से जुड़े सभी अभिलेखों की गहन जांच हो तथा जांच पूरी होने तक पीड़ित शिक्षिका, सहयोग करने वाले छात्रों और अभिभावकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए। यह मामला केवल एक शिक्षिका के उत्पीड़न तक सीमित नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, महिला सम्मान और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष से जोड़कर देखा जा रहा है। अब सभी की नजरें प्रशासन और शिक्षा विभाग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं कि वे इस गंभीर प्रकरण में कब और क्या कदम उठाते हैं।


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