आगरा लाईव न्यूज। ताजनगरी में चिकित्सा इतिहास रचते हुए पहली बार महज़ चार घंटे की नवजात बच्ची की सफल एंडोस्कोपी की गई। यह अनोखा मामला नामनेर स्थित एसआर हॉस्पिटल का है, जहां एक धार्मिक रस्म के दौरान नवजात के गले में सोने की नाक की लोंग फंस गई थी। जानकारी के अनुसार, परिजन पुरातन परंपरा के अनुसार नवजात की जीभ पर शहद से ‘ओम’ लिखने की रस्म निभा रहे थे। इसी दौरान पास रखी नाक की लोंग गलती से शिशु के मुंह में चली गई और उसकी खाने व सांस की नली के बीच फंस गई। अचानक बच्चे की सांस रुकने पर परिजन घबरा गए और तत्काल उसे एसआर हॉस्पिटल लेकर पहुंचे।यहाँ डॉ. दीपक बंसल, डॉ. निधि बंसल, डॉ. अंकुर बंसल और डॉ. अल्वी की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एंडोस्कोपी की सहायता से बिना चीरे के नाक की लोंग को पेट से मुंह के रास्ते निकाल लिया। कुछ ही मिनटों में नवजात की जान बचा ली गई। डॉ. दीपक बंसल ने बताया कि यह आगरा मंडल में अब तक की सबसे छोटी उम्र के बच्चे पर की गई एंडोस्कोपी है। उन्होंने कहा कि इतने छोटे बच्चे की सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन टीम ने सफलता हासिल की। फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।

डॉ. बंसल ने परिजनों और आम जनता से अपील की कि अंधविश्वास या पारंपरिक रीति-रिवाजों के नाम पर नवजात शिशुओं के साथ जोखिम न लें। उन्होंने कहा, “ईश्वर में विश्वास रखें, पर बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।” यह उपलब्धि न केवल एसआर हॉस्पिटल बल्कि पूरे आगरा मंडल के लिए एक ऐतिहासिक चिकित्सा उपलब्धि के रूप में दर्ज हुई है।

