आगरा लाईब न्यूज। एसएन मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग में डिस्क प्रोलैप्स के कारण कमर, पीठ में दर्द, पैरों में दर्द, झनझनाहट की स्टिच लेस स्पाइन सर्जरी अंडर लोकल एनेस्थीसिया की सुविधा चल रही है। इसे 8 महीने हो चुके हैं, इस तकनीकी से 24 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है, मरीज पूरी तरह से ठीक हैं। ये बताया निजी हॉस्पिटल में सर्जरी 1.50 से दो लाख में होती है। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश शर्मा ने बताया कि जिम में ज्यादा वजन उठाने, जूता फैक्ट्री में कारीगरों के आगे झुककर घंटों बैठे रहने। कुर्सी पर बैठकर कंप्यूटर पर काम करते समय आगे झुके रहने से भी यह समस्या बढ़ रही है, पहले अधिक उम्र में यह समस्या होती थी अब युवाओं को भी समस्या हो रही है। आपको बता दें एसएन के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश शर्मा ने नई तकनीकी से सर्जरी के लिए पुणे और मुंबई में प्रशिक्षण लिया था, उन्होंने बताया कि इसी वर्ष अप्रैल से एंडोस्कोप से नई तकनीकी के साथ सर्जरी शुरू की। अभी तक ओपन सर्जरी में रीढ़ की हड्डी को हटाने के साथ ही पूरी डिस्क निकालनी पड़ती थी, इसके बाद एमआईएस तकनीकी आई इसमें भी बाहर चीरा छोटा लगता था लेकिन अंदर की प्रक्रिया ओपन सर्जरी की तरह होती है। मगर, एंडोस्कोपिक विधि से 0.5 से 0.8 एमएम का चीरा पीठ में लगाया जाता है। एंडोस्कोप उस डिस्क तक पहुंच जाता है जिस में सूजन है जिससे रीढ़ की हड्डी की नस दब रही है और दर्द हो रहा है। इस हिस्से को एंडोस्कोप से ही बाहर निकाल दिया जाता है।
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश शर्मा ने बताया अस्थि रोग विभाग में रीढ़ की हड्डी के मरीजों की एक बिना चीरे की सर्जरी हो रही है। जिन मरीजों को कमर दर्द, पैरों में दर्द, पैरों में सुन्नापन रहता है, एवं पैर कमजोर पड़ जाते हैं। जिसे आम भाषा में सायिटिका कहा जाता है। Dise Prolapse की वजह से यह सब होता है। ऐसे मरीजों के लिए एस० एन० मेडिकल कॉलेज, आगरा के अस्थि रोग विभाग में बिना चीरे की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। इस विधि में Endoscope की मदद से रीढ़ की नसों को दबा रही गद्दी को वहाँ से हटाकर नस को दबाब मुक्त कर दिया जाता है। इस दौरान बाहर एक बहुत छोटा 6-7 मिली मीटर चीरा लगता है जिसमें कि टांका लगाने की भी जरूरत नहीं होती है। और अन्दर भी कोई मांसपेशी/हड्डी को नहीं काटा जाता है। तथा इस दौरान पूर्ण बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होती है।
यह लोकल एनीस्थिीसिया में हो जाने वाला आपरेशन है और मरीज खुद ही आपरेशन के दौरान ही यह बताता है कि उसको अब पैरों में हल्का महसूस हो रहा है। इस सर्जरी को SSULA (रिटच लैस स्पाइन सर्जरी अण्डर लोकल एनीस्थिीसिया) कहते हैं। मरीजों की पहले ही दिन छुट्टी कर दी जाती है। यह सर्जरी करने वाला एस० एन० मेडिकल कॉलेज प्रदेश का पहला सरकारी कालेज है। और उत्तर भारत में यह बहुत कम संस्थानों में उपलब्ध है। प्राईवेट में भी यह बहुत कम जगह होती है और आमतौर पर एक लेविल करने में 1.5 से 2 लाख रूपये लग जाते हैं। यह सुविधा एस० एन० मेडिकल कॉलेज, आगरा में निशुल्क उपलब्ध है। इस प्रकार के सभी मरीज बुधवार को ओ०पी०डी० नम्बर-7 अस्थि रोग विभाग में दिखा सकते हैं। इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है और अगले दिन मरीज को घर भेज दिया जाता है। पीठ के दर्द के लिए एसएन की ओपीडी नंबर 7 में हर बुधवार को ओपीडी होगी, इसमें परामर्श ले सकते हैं। डॉ. रजत कपूर, डॉ. विवेक मित्तल, डॉ. केएस दिनकर मौजूद रहे।