कार्तिक माह के शुभ अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

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आगरा। कार्तिक माह के शुभ अवसर पर रंग महल बैंकेट हॉल मारुति स्टेट चैराहा, बोदला रोड आगरा में चल‌ रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन सोमवार को कथा वाचिका पं. गरिमा किशोरी जी द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि “नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है तो भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती जी के हैं। हर जन्म में पार्वती जी विभिन्ना रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं।

शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है पार्वती जी ने कहा मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया उसमें से श्री सुखदेव जी का प्राकट्य हुआ कथा सुनते सुनते पार्वती जी सो गई वह पूरी कथा श्री सुखदेव जी ने सुनी और अमर हो गए शंकर जी सुखदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े। सुखदेव जी भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए।

12 वर्ष बाद श्री सुखदेव जी गर्व से बाहर आए इस तरह श्री सुखदेव जी का जन्म हुआ।कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।कथा व्यास जी ने उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है।

इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं को सभी वृद्धजनों ने बड़े ही श्रद्धा भाव से श्रवण किया। कथा व्यास पं गरिमा किशोरी जी ने बड़े ही सुंदर सुंदर भजन सुनाकर भक्तों को खूब आनंदित किया। कल की कथा के प्रसंगों में मुख्य रूप से भक्त ध्रुव चरित्र एवम माता सती के चरित्र का वर्णन किया जाएगा।

इस शुभ अवसर पर परीक्षित नानक राम मानवानी एवम गंगा देवी मानवानी, हेमंत पूजा, भोजवानी, श्याम चांदनी भोजवानी, सुनिल कोमल मानवानी, गुरदासमल संगतानी, डा अक्षय मिष्ठी गैलानी, सुंदरलाल चेतावनी, धर्मदास, मुरलीधर, विजय कुमार, सोनू, राम पचौरी,ललित कुमार, दिव्यांश, लखन मानवानी,दौलत साघवानी, मनोज रानो तीर्थनी, आदि लोग उपस्थित रहे।

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