कानून ताक पर, नोटिस बेअसर, अवैध निर्माण बेखौफ जारी!
आगरा का गौरव, दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल आज अवैध निर्माणों की चोट से कराह रहा है, लेकिन अफसरशाही आराम फरमा रही है! सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश – 500 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा। फिर भी, नोटिस जारी होते हैं, FIR होती हैं, मगर नतीजा? अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं!

कौन है गुनहगार? क्यों मौन है प्रशासन?
एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित!पुलिस-प्रशासन और एडीए (आगरा विकास प्राधिकरण) एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने में माहिर!

नगर निगम खुद ही अतिक्रमण की फसल उगाने में लिप्त!
ताजमहल के साये में पनप रहे अवैध निर्माण!
2015 से 2022 के बीच ताजमहल सब-सर्कल में 248 अवैध निर्माण हो चुके हैं, जिनमें से 98 ताजमहल के 500 मीटर के प्रतिबंधित क्षेत्र में हैं! सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्माण पर रोक लगाई है, तो ये निर्माण हुए कैसे? क्या प्रशासनिक मिलीभगत का खेल चल रहा है?

मौन क्यों है प्रशासन, कौन दे रहा है शह?
ताजा मामला तांगा स्टैंड के पास चल रहे होटल निर्माण का है, जिसे कोई रोकने वाला नहीं। पुरानी मंडी के पास एक इमारत की पुरानी दीवार हटाने के बजाय अंदर ही अंदर नया निर्माण कर दिया गया, और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी! क्या यह लापरवाही है या जानबूझकर आंखें मूंद ली गई हैं?
अवैध वसूली का खेल – 1000-1500 रुपये में बिक रहा कानून नगर निगम की भूमिका भी कटघरे में है। दुकान लगाने के नाम पर फुटपाथों को हड़प लिया जाता है, और दुकानदारों से 1000 से 1500 रुपये तक की अवैध वसूली होती है। प्रशासन की साठगांठ से ही ये अतिक्रमण पहले पनपते हैं, फिर धीरे-धीरे अवैध निर्माण में तब्दील हो जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, फिर भी कानून की धज्जियां!
ताजमहल पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 500 मीटर के दायरे में व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश दिए, लेकिन इसका पालन कौन कराएगा? जब निगरानी करने वाले ही भ्रष्टाचार में डूबे हों, तो कानून को कौन मानेगा?
सबसे ज्यादा अतिक्रमण कहां?
पश्चिमी गेट से स्टूडियो मोड़ तक – नए निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं!
पूर्वी गेट से कुत्ता पार्क तक – स्मारक से दूरी 100 मीटर भी नहीं, फिर भी अवैध निर्माण जारी!
दक्षिणी गेट – अवैध निर्माण का सबसे बड़ा अड्डा, जहां एएसआई की एफआईआर भी बेअसर!
कानून क्या कहता है? और प्रशासन क्या कर रहा है?
2010 का पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) अधिनियम कहता है कि 100 मीटर के प्रतिबंधित क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं होगा और 200 मीटर के विनियमित क्षेत्र में सक्षम अधिकारी से अनुमति लेकर ही निर्माण किया जा सकता है। उल्लंघन पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दो साल की सजा हो सकती है। तो फिर, कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं?
जब सर्वोच्च अदालत 500 मीटर के दायरे में हर तरह के निर्माण पर सख्त रोक लगा चुकी है, तो फिर ये इमारतें कहां से उग आईं? क्या प्रशासन अंधा हो गया है या नोटों की खनक में बहरा हो गया है?
अब कार्रवाई कब होगी? या फिर ताजमहल को भी खा जाएगा भ्रष्टाचार?
सवाल यही है – क्या कोई ताजमहल को इस अवैध कब्जे से बचाएगा या फिर यह ऐतिहासिक धरोहर भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी? जवाब अब प्रशासन को देना होगा!