आरटीओ दफ्तर प्राइवेट कर्मचारियों के भरोसे

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आगरा लाईब न्यूज। संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) कार्यालय पर सरकार चाहे जितनी भी लगाम कस ले, वो ढीली हो जाती है। शायद यही वजह है कि कार्यालय में कोई भी काम बिना किसी बाहरी व्यक्ति के नहीं होता है। आपको बता दें आरटीओ कार्यालय में प्रवर्तन, पंजीयन (रजिस्टे्रेशन), एनओसी समेत कई अनुभाग हैं। कार्यालय के बाहर सैकड़ों की संख्या में अवैध वेंडरों ने अपना कब्जा जमा लिया है। लाईसेंस बनवाने, गाड़ी की फिटनेस, रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर या एनओसी के लिए रोजाना सैकड़ों लोग दफ्तर में आते हैं। मगर विभागीय कर्मचारियों द्वारा उन्हें इतनी जटिल प्रक्रिया बता दी जाती हैं कि वह परेशान हो जाता है। थक हार के उसे बाहर बैठे अवैध वेंडरों और दलालों से संपर्क करना पड़ता है। यमुना किनारा मार्ग बेलनगंज से अपनी गाड़ी की एनओसी फिटनेस करवाने आए धीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि वे पिछले 4 दिनों से लगातार विभाग आ रहे हैं।

हालांकि उनकी गाड़ी की फिटनेस नहीं हो सकी है। एक बाहरी व्यक्ति उनसे 3 हजार में फिटनेस करवाने का दावा कर रहा था।आजकल बाहरी व्यक्ति कोई और नहीं हैं आरटीओ दफ्तर में तैनात कर्मचारी हैं। जिन्हें बिना किसी अनुमति के विभागों में तैनात कर लिया है। वर्तमान में 60 से अधिक प्राइवेट लड़के आगरा आरटीओ दफ्तर में काम कर रहे हैं। जबकि शासन की सख्त हिदायतों के बावजूद भी अधिकारियों के संरक्षण में पल रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कार्यालय में तैनात कर्मचारी ने बताया कि एआरटीओ प्रशासन के कार्यालय में बिना किसी अनुमति के विभागों में कंप्यूटर ऑपरेटर आदि का काम देखते हैं।

आरटीओ ऑफिस में अफसरों के मिले आईडी पासवर्ड को निजी कर्मचारी चलाते हैं। एनओसी के अप्रूवल, रजिस्ट्रेशन आदि के महत्वपूर्ण काम प्राइवेट कर्मचारी देखते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी ने बताया कि आरटीओ में अधिकारी अपनी कोर्ट भी नहीं लगाते हैं। विभागीय अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नहीं होता है। एक सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी तो कार्यालय का दरवाजा अंदर से बंद करके बैठता है। इस संबंध में सहायक संभागीय अधिकारी प्रशासन एनसी शर्मा से बात करने के लिए उनके ऑफिस पहुंचे तो वे कहने लगे कि आपको क्यों बताएं, हम अपने अधिकारी को बताएंगे। आप खुद पता कर लीजिए। आरटीओ अरुण कुमार को इस संबंध में फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके दोनों मोबाइल नंबर बंद आ रहे थे। उप परिवहन आयुक्त मयंक ज्योति का सीयूजी मोबाइल नंबर भी ऑफ आ रहा था।

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