वीडियो कॉल पर फर्जी CBI, TRAI, ED, Supreme Court, Police अधिकारी बनकर ठगी करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के दो और शातिर अभियुक्त गिरफ्तार।
आगरा। पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो वीडियो कॉल के जरिए खुद को CBI, ED, TRAI, पुलिस और सुप्रीम कोर्ट का अधिकारी बताकर लोगों को ठगता था। गिरोह के सदस्य इंटरनेशनल वीडियो कॉल कर पीड़ितों को मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी मामलों में फंसाने की धमकी देते थे। फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाकर “डिजिटल अरेस्ट” करने के नाम पर उनसे मोटी रकम ऐंठी जाती थी। इस मामले में पुलिस ने राजस्थान के भीलवाड़ा और जोधपुर से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
20 जनवरी 2025 को आगरा निवासी निजहत खातून ने साइबर क्राइम थाना में शिकायत दर्ज कराई कि 16 जनवरी को उन्हें एक इंटरनेशनल वीडियो कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को बांद्रा पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी मामले में दर्ज है। आरोपी ने वीडियो कॉल पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाकर “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया और तुरंत जमानत राशि के रूप में 2.80 लाख रुपये ट्रांसफर करने को कहा। डर के कारण पीड़िता ने यह राशि दे दी, जिसके बाद कॉल करने वाले ने संपर्क बंद कर दिया।शिकायत दर्ज होने के बाद साइबर क्राइम पुलिस ने मोबाइल नंबर, बैंक खाते और डिजिटल ट्रांजेक्शन का विश्लेषण किया। जांच में पाया गया कि गिरोह का संचालन वियतनाम, कंबोडिया और कनाडा से किया जा रहा था।
भारत में इनके स्थानीय एजेंट ठगी का काम कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण और सर्विलांस के आधार पर राजस्थान के भीलवाड़ा और जोधपुर में दबिश दी और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया।गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अभिषेक धाकड़ पुत्र गोपाल धाकड़ निवासी मकरेड़ी, थाना बिजोलिया, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान और प्रतीक गोंड पुत्र उज्जवल प्रसाद गोंड निवासी रावला कोट, झालामंड, थाना भगत की कोठी, जोधपुर, राजस्थान के रूप में हुई है।
इस गिरोह के सदस्य व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसी सोशल मीडिया एप्लिकेशन का उपयोग कर फर्जी सरकारी अधिकारी बनते थे। वीडियो कॉल पर पीड़ितों को धमकाकर गिरफ्तारी का डर दिखाया जाता था और तुरंत जमानत राशि ट्रांसफर करने को कहा जाता था। ठग खुद को CBI, ED, TRAI, सुप्रीम कोर्ट या पुलिस अधिकारी बताकर कॉल करते थे। व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए वीडियो कॉल कर फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाते थे। “डिजिटल अरेस्ट” कर डराया जाता था कि अगर तुरंत पैसे नहीं दिए तो कानूनी कार्रवाई होगी। पीड़ितों से UPI, RTGS या बैंक ट्रांसफर के जरिए रकम मंगवाई जाती थी। ठगी के बाद गिरोह के सदस्य एटीएम या चेक बुक के जरिए पैसा निकाल लेते थे और कमीशन काटकर बाकी रकम विदेश भेज देते थे।
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उनके साथी भारतीय नागरिकों को फर्जी जॉब ऑफर देकर वीजा बनवाकर वियतनाम और कंबोडिया भेजते हैं। वहां वे फर्जी कॉल सेंटरों में काम कर भारतीय नागरिकों को डरा-धमकाकर ठगते हैं। पुलिस को इन देशों में सक्रिय कई संदिग्ध मोबाइल नंबर और बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनकी जांच जारी है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, दो आधार कार्ड, दो पैन कार्ड, छह डेबिट कार्ड और एक बैंक किट (चेकबुक/पासबुक) बरामद की है। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और विदेश मंत्रालय व इंटरपोल की मदद से वियतनाम व कंबोडिया में बैठे मास्टरमाइंड्स को पकड़ने की कोशिश कर रही है।
आगरा पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि अनजान इंटरनेशनल वीडियो कॉल न उठाएं। कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसे मांगे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। डरकर बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर न करें। किसी भी झूठे केस या गिरफ्तारी की धमकी से घबराएं नहीं, पुलिस हेल्पलाइन से संपर्क करें। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं। पुलिस ने चेतावनी दी है कि ऐसे साइबर अपराधी हाईटेक तकनीकों का उपयोग कर लोगों को ठगने के नए तरीके खोज रहे हैं, इसलिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है।