मानिक चंद वीर इंटर कॉलेज के बाहर सुबह 4 बजे से छलकते जाम, प्रशासन बेखबर!

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शिक्षा के मंदिर के बाहर शराबियों का आतंक, सुबह 4 बजे से ही छलकते जाम, पुलिस-प्रशासन मौन! बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे, प्रशासन कब लेगा जिम्मेदारी ? स्थानीय दुकानदारों का दर्द – शराबियों के गिलास पानी के पाउच, और कचरे से सड़के गंदी, सफाई करना भी बना मुश्किल! दुकानदार बोले – हम कचरा जलाएं तो नगर निगम चालन करता है, लेकिन शराबियों पर कोई एक्शन क्यों नहीं ? गंदगी साफ करें तो चालान, विरोध करें तो जान को खतरा – क्या यही है कानून व्यवस्था ?

आगरा लाईव न्यूज। थाना जगदीशपुरा क्षेत्र स्थित एम.सी. वीर इंटर कॉलेज ( मानिक चंद वीर इंटर कॉलेज ) का गेट अब शिक्षा का प्रवेश द्वार कम, और शराबियों का अड्डा ज्यादा नजर आने लगा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि सुबह 4 बजे से ही यहां जाम छलकने लगते हैं, और स्कूल खुलने से पहले ही शराबियों की महफिल सज जाती है। स्कूल के ठीक पास स्थित शराब ठेका सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है, जिससे नशेड़ियों का हुजूम सुबह होते ही लगता है। स्कूल जाने वाले मासूम बच्चों के लिए यह माहौल डरावना बन चुका है, लेकिन प्रशासन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है।

गंदगी, गाली-गलौज और असुरक्षित माहौल से त्रस्त स्थानीय लोग

दुकानदारों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर सुबह से शराब की बिक्री बंद हो जाए, तो सुबह से ही शराब पीना भी बंद हो जाएगा। लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। नशे की हालत में धुत्त शराबी बच्चों पर फब्तियां कसते हैं, महिलाओं और छात्राओं से छेड़छाड़ करते हैं, दुकानदारों से गाली-गलौज और हाथापाई पर उतर आते हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि स्कूल के गेट पर शराबियों के गिलास और पानी के पाउचों का ढेर लग जाता है। गंदगी साफ करें तो नगर निगम चालान ठोक देता है, विरोध करें तो जान का खतरा—क्या यही है कानून व्यवस्था?

थाने से महज 500 मीटर दूर, फिर भी पुलिस बेखबर!चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा मामला थाना जगदीशपुरा से महज 500 मीटर की दूरी पर हो रहा है। लेकिन न तो पुलिस कोई कार्रवाई कर रही है और न ही शराब पीने वालों पर कोई लगाम लगाने की कोशिश की गई है। दुकानदारों का कहना है कि अगर वे शराबियों को टोकते हैं, तो उन्हें धमकियां मिलती हैं, गाली-गलौज की जाती है, यहां तक कि मारपीट तक की नौबत आ जाती है। अगर स्कूल के गेट पर ही शराबियों का अड्डा बन जाए, तो यह सिर्फ बच्चों की पढ़ाई ही नहीं, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर भी गहरा असर डालता है। ये वही मासूम बच्चे हैं, जो कल इस देश का भविष्य संवारेंगे, लेकिन आज इन्हें हर दिन स्कूल जाते समय शराबियों के बर्ताव का सामना करना पड़ रहा है।

शिक्षा के मंदिर के बाहर नशेड़ियों की महफिल इस बात का सबूत है कि प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं। जब बच्चे सुबह किताबों का भार लेकर स्कूल जा रहे होते हैं, तब उनके सामने नशे में धुत्त लोग गाली-गलौज कर रहे होते हैं, खुलेआम शराब पी रहे होते हैं। यह नजारा बच्चों के दिमाग पर क्या असर डालता होगा, इसका अंदाजा शायद उन लोगों को नहीं है, जिन पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। हम जिन बच्चों को देश का भविष्य कहते हैं, अगर वे हर दिन इस गंदे माहौल का हिस्सा बनने को मजबूर हैं, तो क्या हम सच में एक बेहतर भारत की कल्पना कर सकते हैं? क्या यही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का असली रूप है, जहां स्कूल जाते हुए बच्चियों को असुरक्षित माहौल में डर के साए में कदम रखना पड़ता है?

यह सिर्फ एक स्कूल की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे समाज के भविष्य पर मंडरा रहा खतरा है। अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो आने वाली पीढ़ी को हम कैसा वातावरण देंगे? बच्चों को एक सुरक्षित और स्वच्छ माहौल देना सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल यही हालात और भी खराब हो सकते हैं। आखिर कब तक हम अपने भविष्य को ऐसे नशे के अंधेरे में धकेलते रहेंगे?

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से सीधा सवाल पूछा है— क्या स्कूल के पास इस तरह खुलेआम शराब बिकेगी? क्या शिक्षा के मंदिर को नशे के अड्डे में बदलने दिया जाएगा? जनता ने साफ कहा है कि या तो स्कूल के पास से शराब का ठेका हटाया जाए, या सुबह की शराब बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई जाए। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है या फिर से इसे अनदेखा कर दिया जाएगा।

क्राइम रिपोर्टर बृजमोहन निगम

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